#MetronewZ:*'वोट बैंक की जरूरतों के कारण खालिस्तानी आतंकवादियों पर नरम रुख अपना रहीं कनाडा सरकार' :
#MetronewZ:*'वोट बैंक की जरूरतों के कारण खालिस्तानी आतंकवादियों पर नरम रुख अपना रहीं कनाडा सरकार' : भारत सरकार, कनाडा के पीएम ट्रूडो ने आरोपों पर सफ़ाई दी* टोरंटो : कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो ने गुरुवार को कहा कि भारत सरकार का यह मानना 'गलत' है कि उनकी सरकार देश में खालिस्तान समर्थक जमावड़ों और आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने में अनिच्छुक है.' ज्ञात हो कि कनाडा के प्रधानमंत्री से जब यह पूछा गया की, "कनाडा में इंदिरा गांधी की हत्या को दर्शाती झांकी और भारतीय को मारने का आह्वान (Kill India) करने वाले पोस्टर लगाए जाते हैं. भारत सरकार का कहना है कि वोट बैंक की राजनीति के कारण आप सिख चरमपंथी पर नरम रुख अपनाते हैं. आप कैसे कहेंगे कि वो (भारत सरकार) गलत हैं? 5 जुलाई, 2023 को सेंट-हायसिंथे, क्यूबेक में एक सार्वजनिक बाजार का दौरा करने के बाद मीडिया के इस प्रश्न का जवाब देते हुए कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा, "कनाडा ने हमेशा हिंसा और धमकी को बेहद गंभीरता से लिया है. हमारा देश विवधताओं का देश है. यहां का संविधान अभिव्यक्ति की आजादी सुनिश्चित करता है. लेकिन हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हम सभी तरह के हिंसा और उग्रवाद को नियंत्रित कर सकें." ज्ञात हो कि पिछले कुछ महीनों में कनाडा में खालिस्तानी अलगाववादियों से जुड़ी तीन बड़ी भारत विरोधी घटनाएं सामने आई हैं. सूत्रों के अनुसार पीएम ट्रूडो का यह बयान भारत द्वारा कनाडा में प्रसारित किए जा रहे भारतीय राजनयिकों के लिए धमकियों वाले पोस्टरों सहित प्रचार सामग्री पर नई दिल्ली में कनाडाई उच्चायुक्त को तलब करने के बाद इसी परिप्रेक्ष्य में आया है. प्राप्त विस्तृत जानकारी अनुसार भारत द्वारा कनाडा के दूत को तलब करने और कनाडा में खालिस्तानी समर्थकों की बढ़ती गतिविधियों पर डिमार्शे जारी करने के बाद ट्रूडो खुद को मुश्किल स्थिति में पा रहे हैं. बता दें कि कनाडा के उच्चायुक्त को सोमवार को नई दिल्ली विदेश मंत्रालय में बुलाया गया था और उन्हें डिमार्शे जारी किया गया. (राजनयिक भाषा में, डिमार्शे का तात्पर्य एक सरकार द्वारा दूसरे सरकार या उनके उपयुक्त अधिकारियों के समक्ष लिखित या अंकित माध्यम या कोई भी आधिकारिक संचार माध्यम से किसी स्थिति, चिंता, विचारों या इच्छाओं के बारे में मूल सरकार द्वारा व्यक्त किया जाना है.) उल्लेखनीय हैं कि पिछले महीने जून में ऑपरेशन ब्लू स्टार की 39वीं बरसी के मौके पर पिछले महीने कनाडा के ग्रेटर टोरंटो एरिया के ब्रैम्पटन में परेड फ्लोट में खालिस्तानी समर्थकों ने एक परेड निकाली थी. इसमें इंदिरा गाधी की हत्या को दर्शाती एक झांकी भी दिखाई गई थी. भारत सरकार ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि वोट बैंक की राजनीति के चलते कनाडा खालिस्तानियों का समर्थन करता है. यह भारत और कनाडा के रिश्तों के लिए ठीक नहीं है. *कनाडा में आख़िर चल क्या रहा हैं?* कनाडा के ब्रैम्पटन शहर में 4 जून को खालिस्तान समर्थकों ने एक परेड निकाली थी. यह परेड 6 जून को ऑपरेशन ब्लू स्टार की 39 वीं बरसी से पहले निकाली गई थी. परेड की एक झांकी में इंदिरा गांधी की हत्या को दिखाया गया था. झांकी में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को खून से सनी सफेद साड़ी में हाथ ऊपर किए दिखाया गया था. झांकी के वीडियो में पगड़ी पहने कुछ आदमियों को इंदिरा गांधी पर बंदूक ताने हुए दिखाया गया था. झांकी में दिखाए गए इस सीन के पीछे एक पोस्टर लगा हुआ था जिस पर लिखा हुआ था- 'बदला'. ज्ञात हो कि इंदिरा गांधी की हत्या 31 अक्टूबर 1984 को उनके दो सिख बॉडीगार्ड्स ने कर दी थी. वहीं, तीन दिन पहले सिख फॉर जस्टिस के बैनर तले कनाडा में कुछ पोस्टर लगाए गए थे. इन पोस्टर्स पर 'Kill India' लिखा गया था. इतना ही नहीं, इन पोस्टर्स में भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और टोरंटो में भारत के महावाणिज्य दूत अपूर्वा श्रीवास्तव पर खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का भी आरोप लगाया गया था. खालिस्तानी टाइगर फोर्स प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर की 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया के एक गुरुद्वारे की पार्किंग में हत्या कर दी गई थी. भारत विरोध खालिस्तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) कनाडा में समय-समय पर जनमत संग्रह कराता रहता है. भारत के कड़े विरोध के बावजूद सितंबर 2022 में कनाडा के आंटारियों में भारत विरोधी जनमत संग्रह कराया गया था. भारत सरकार ने इस जनमत संग्रह को आपत्तिजनक और पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित करार दिया था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कनाडा सरकार को अगाह करते हुए कहा था कि इससे सभी वाकिफ हैं कि इस तरह के चरमपंथी तत्वों ने इतिहास में किस तरह से हिंसा की है. भारत सरकार ने कनाडा को चेतावनी देते हुए कहा था कि पन्नू जैसे सिख चरमपंथी को खुला छोड़कर ट्रूडो सरकार आग से खेल रही है. बहरहाल आलोचनाओं से घिरे कनाडाई नेता का बयान अपनी और अपने देश की और से आतंक समर्थक नहीं होने की सफ़ाई भर देने वाला है. Courtesy:Khulasa