viralpost:*यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद पश्चिम बंगाल के राज्यपाल आनंद बोस ने पुलिस को राजभवन में प्

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#viralpost:*यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद पश्चिम बंगाल के राज्यपाल आनंद बोस ने पुलिस को राजभवन में प्रवेश करने से रोक दिया

नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस पर राजभवन की महिला कर्मी ने यौन उत्पीडऩ का आरोप लगाया है। महिला का आरोप है कि वह 24 मार्च को स्थायी नौकरी का निवेदन लेकर राज्यपाल के पास गई थी। तब राज्यपाल ने बदसलूकी की।
राजभवन की इस अस्थायी महिला कर्मचारी ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी.आनंद बोस पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए गुरुवार (2 मई) की रात लाल बाजार स्थित कोलकाता पुलिस मुख्यालय के हेयर स्ट्रेट थाने में जाकर राज्यपाल के खिलाफ यौन उत्पीड़न की लिखित शिकायत दर्ज कराई।

पुलिस से की गई उनकी शिकायत में दो घटनाओं का जिक्र है। बोस ने 19 अप्रैल को उनसे अपने सीवी के साथ मिलने के लिए कहा; शिकायत में कहा गया है कि वह 24 अप्रैल को दोपहर 12.45 बजे उससे मिलने गई, जब उसने "उसे अनुचित तरीके से छुआ और आपत्तिजनक हरकतें कीं।"
बोस ने उसे गुरुवार को फिर से अपने कार्यालय में बुलाया लेकिन महिला ने अकेले जाने के बजाय अपने पर्यवेक्षक को अपने साथ चलने के लिए कहा। महिला ने पुलिस को बताया कि बोस ने पर्यवेक्षक को कुछ समय बाद जाने के लिए कहा, जिसके बाद उसने उसे पदोन्नति का आश्वासन दिया और फिर "उसके गाल को छुआ", जिससे वह विरोध करने लगी। शाम से प्रसारित एक वीडियो में महिला को एक वरिष्ठ पुलिसकर्मी से शिकायत करते हुए दिखाया गया है कि उसके साथ छेड़छाड़ की गई है। "यह मेरे साथ पहली बार नहीं हुआ है," उसे फोन पर यह कहते हुए सुना जाता है कि उसने पहले शिकायत क्यों नहीं की थी: "मैं चुप रही क्योंकि मुझे अपनी (संविदा) नौकरी खोने का डर था।" ताज़ा घटना के बाद, उसने दूसरों को उस परेशानी से बचाने के लिए, जो उसने झेली थी, गुरुवार को शिकायत करने के लिए बाध्य महसूस किया। वह एक अन्य महिला का भी जिक्र करती नजर आ रही हैं जिसने पहले भी ऐसी ही शिकायतें की थीं।

ममता बनर्जी सरकार से राज्यपाल बोस का टकराव रहा हैं तथा वे पहले भी राजभवन में उनकी जासूसी कराने का आरोप ममता बनर्जी पर लगा चुके हैं।
यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना करने के बाद पश्चिम बंगाल के राज्यपाल आनंद बोस ने पुलिस को राजभवन में प्रवेश करने से रोक दिया हैं।
रात 10 बजे के बाद जारी एक विज्ञप्ति में राजभवन परिसर में पुलिस और राज्य की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया। बयान में कहा गया है कि पुलिस प्रतिबंध "चुनाव के दौरान राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए अनधिकृत, नाजायज, दिखावटी और प्रेरित जांच करने की आड़ में" उनके प्रवेश को रोकने के लिए था, साथ ही कोलकाता, दार्जिलिंग और बैरकपुर में राजभवन परिसर में मंत्री भट्टाचार्य के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। बयान में कहा गया है कि गवर्नर सी वी आनंद बोस वित्त विभाग के किसी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। बयान में कहा गया है कि भट्टाचार्य के खिलाफ कानूनी कदम उठाने के लिए अटॉर्नी-जनरल से सलाह ली जाएगी। 
हालाकि बता दें कि संविधान के आर्टिकल 361 (2) के तहत राज्यपाल के खिलाफ़ आपराधिक मामला दर्ज़ नहीं हो सकता है न ही इस तरह का मामला चलाया जा सकता है, न ही गिरफ्तारी हो सकती हैं। हा उनके साथ अगर कोई अपराध में लिप्त हो तो उनके खिलाफ कारवाई हो सकती है। राज्यपाल पद से इस्तीफा देने या हटने के बाद ही इस तरह की करवाई का नियम है। बता दें कि पश्चिम बंगाल के 22वें राज्यपाल के रूप में सीवी आनंद बोस एक भारतीय सेवानिवृत्त 1977 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। 17 नवंबर 2022 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा बोस को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया हैं।
इधर पश्चिम बंगाल में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल बोस पर आरोप दोहराते हुए कहा, "वह (युवती) राजभवन में नौकरी करती है। राज्यपाल ने उसके साथ क्या व्यवहार किया? मेरे पास एक नहीं हजारों ऐसी घटनाएं आई हैं, लेकिन मैंने कभी कुछ नहीं कहा। हालांकि यह घटना मेरे लिए ह्दय विदारक है।"
इसके बाद सीधे तौर पर राज्यपाल पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों को सच बताते हुए ममता ने कहा कि राज्यपाल ने अपने यहां काम करने वाली युवती के साथ एक नहीं दो बार यौन उत्पीड़न किया। ममता ने कहा, "मैंने उसका (लड़की) रोना देखा है, मेरे पास उसका वीडियो आया है। कल (गुरुवार) युवती ने बाहर निकलने के दौरान रोते हुए कहा है कि अब मैं राजभवन में नौकरी करने नहीं जाऊंगी. वह डर रही है, कभी भी उसे बुलाकर ख़राब व्यवहार कर सकते हैं, अपमान कर सकते हैं..."

ऊधर राज्यपाल बोस ने गुरुवार की रात अपने ऊपर लगे यौन उत्पीड़न के आरोप को सिरे से नकारते हुए आरोप को चुनावी लाभ हासिल करने का सत्ताधारी पार्टी का प्रयास बताया। गुरुवार रात राज्यपाल के कार्यालय की और से जारी एक में कहा गया, 'सच्चाई की जीत होगी। मैं इंजीनियर्ड नैरेिटव से नहीं डरता। अगर कोई मुझे बदनाम करके कुछ चुनावी फायदा चाहता है तो भगवान उनका भला करें। लेकिन वे बंगाल में भ्रष्टाचार और हिंसा के खिलाफ मेरी लड़ाई को नहीं रोक सकते।'
अपने राजनीतिक विरोधियों पर निशाना साधते हुए (बिना किसी का नाम लिए) गवर्नर बोस ने कहा, "मैं आश्चर्यचकित नहीं हूं।   
मुझे इस बारे में जॉच एजेंसियों से जानकारी प्राप्त हुईं है कि राजनीतिक ताकतो ने राजयपाल भवन में एक और गलत व्यक्ति को बिठा दिया हैं वह बड़ी साज़िश का हिस्सा है।
मैं बंगाल में कुछ राजनीतिक दलों से क्या उम्मीद कर सकता हूं। मैंने कई तूफानों का सामना किया है; जो राजनीतिक दल मेरे खिलाफ साजिश रच रहा है, मैं उनसे कहता हूं कि यह तूफान नहीं है, यह सिर्फ चाय के कप में आया तूफान है। तुम्हें आश्चर्य नहीं होगा यदि तुम्हें एहसास हो कि मैं तूफान हूं। कम से कम अब राजनेताओं को यह एहसास हो जाना चाहिए कि मैं तूफान का कप्तान बनना चाहूंगा। सारे हथियार बाहर लाओ और मेरे विरुद्ध उनका प्रयोग करो। मैं लड़ने को तैयार हूं, भागने को नहीं। मैं मान-सम्मान के लिए अपनी लड़ाई जारी रखूंगा।”
मीडिया के साथ साझा किए गए एक ऑडियो और एक टेक्स्ट संदेश में, राज्यपाल बोस ने "राजभवन स्टाफ के सदस्यों" को संबोधित करते हुए कहा, "मैं राजनीतिक बल द्वारा पारित किए गए सभी उदार आरोपों और लगातार आक्षेपों का स्वागत करता हूं। मैं अपने दोस्तों को समझता हूं कि और भी बहुत कुछ है लेकिन एक बात स्पष्ट है, कोई भी बेतुका नाटक मुझे भ्रष्टाचार को उजागर करने और हिंसा पर अंकुश लगाने के मेरे दृढ़ प्रयासों से नहीं रोक पाएगा। असफल द्वेष पर चरित्र हनन अंतिम उपाय है।"

क्या कहना है राजभवन का?

एक न्यूज एजेंसी ने राजभवन के सूत्रों के हवाले से कहा हैं, ''महिला कर्मचारी अपने कथित प्रेमी, जो राजभवन का कर्मचारी भी है, की मदद से (लोगों की) शिकायतों को भारत के निर्वाचन आयोग को भेजे जाने से रोक रही थी.’’ राजभवन के एक अधिकारी ने कहा, 'जब महिला को इसके लिए डांटा गया तो उसने बाहर जाकर छेड़छाड़ का आरोप लगाया।’’

वहीं राजभवन से जारी एक अलग बयान में कहा गया कि राज्यपाल ने 'मानहानि और संविधान विरोधी बयानों' को लेकर पश्चिम बंगाल की मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य के कोलकाता, दार्जिलिंग और बैरकपुर के राजभवन परिसरों में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया। बयान में आगे कहा गया कि राज्यपाल ने अपने कार्यालय को यह भी निर्देश दिया है कि वह मंत्री की उपस्थिति वाले किसी भी समारोह में भाग नहीं लेंगे। मंत्री के खिलाफ भावी कानूनी कदमों पर परामर्श के लिए भारत के अटॉर्नी जनरल से संपर्क किया गया है। इस बीच राजभवन परिसर में पुलिस के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है।

विदित हो कि इतिहास में आंध्रप्रदेश और मेघालय के राज्यपाल पर इसी तरह के यौन उत्पीड़न और सेक्स सीडी के आरोप लग चुके हैं।

वर्ष 2009 में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नारायण दत्त तिवारी आंध्र प्रदेश के राज्यपाल हुआ करते थे। एक दिन टीवी पर उनकी एक कथित सेक्स सीडी सामने आई, जिसने पूरे देश की राजनीति को हिला कर रख दिया था। हर तरफ इस वीडियो की चर्चा होने लगी। उस सीडी में एनडी तिवारी तीन महिलाओं संग आपत्तिजनक स्थिति में दिख रहे थे। उस वीडियो क्लिप को तेलुगू चैनल ने प्रसारित किया था। इस सीडी के सियासत ने ऐसा रंग दिखाया कि एनडी तिवारी को राज्यपाल पद से इस्तीफा देकर वापस लौटना पड़ा। सीडी कांड को उन्होंने अपने खिलाफ विरोधियों की साजिश बताया था।
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इसी तरह के यौन उत्पीड़न के आरोपों में घिरे मेघालय के गवर्नर वी. षणमुगनाथन को वर्ष 2016 में अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। राजभवन के कर्मचारियों की ओर से प्रधानमंत्री को लिखा एक लेटर सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इसमें कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि राज्यपाल ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए उनका उत्पीड़न और मानसिक शोषण किया। राज्यपाल पर आरोप थे कि उन्होंने राजभवन में वि‌भिन्न पदों पर केवल जवान महिलाओं की ही नियुक्ति की। स्थानीय मीडिया में कथित यौन उत्पीड़न की खबरें आने के बाद वी. षणमुगनाथन ने इस्तीफा दिया था।

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