अखंड सुहाग का पर्व है गणगौर व्रत, जानें पूजा विधि और इस पूजा से मिलने वाला फल

अखंड सुहाग का पर्व है गणगौर व्रत, जानें पूजा विधि और इस पूजा से मिलने वाला फल

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#Metronewz: *अखंड सुहाग का पर्व है गणगौर व्रत, जानें*
Gangaur is a Hindu festival celebrated in the Indian states of Rajasthan, Haryana, the regions of Malwa, Nimar regions of Madhya Pradesh, and the Braj and Bundelkhand regions of Uttar Pradesh. It is also celebrated in some parts of Gujarat and West Bengal.

गणगौर एक हिंदू त्योहार है जो भारतीय राज्यों राजस्थान, हरियाणा, मालवा के क्षेत्रों, मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्रों और उत्तर प्रदेश के ब्रज और बुंदेलखंड क्षेत्रों में मनाया जाता है। यह गुजरात और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में भी मनाया जाता है।

अखंड सुहाग का पर्व है गणगौर व्रत, जानें पूजा विधि और इस पूजा से मिलने वाला फल

महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु और लड़कियां श्रेष्ठ वर की प्राप्ति के लिए गणगौर पूजा करेंगी।

गणगौर पूजा सामग्री लिस्ट ( Gangaur Puja Samagri List)
तांबे का कलश
काली मिट्टी या होली की राख
गणगौर माता की प्रतिमा
दो मिट्टी के बर्तन
मिट्टी के दीये
कुमकुम
चावल
हल्दी

दरअसल, गणगौर पूजा शिव-पार्वती को समर्पित है. इसलिए इस दिन महिलाओं द्वारा भगवान शिव और माता पार्वती की मिट्टी की मूर्तियां बनाकर उनकी पूजा की जाती है. इसे गौरी तृतीया के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से महिलाओं को अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति होती है

गणगौर या गौरी तृतीया आज 11/04/2024 को अप्रैल अंग्रेज़ी महीने में पड़ने वाला एक जीवंत धार्मिक त्योहार है जो देवी पार्वती और भगवान शिव के दिव्य प्रेम का जश्न मनाता है। गणगौर होली के बाद मनाई जाती है: हिंदू कैलेंडर के चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रंग के अनुसार। गणगौर या गौर माता एक स्थानीय देवी और भगवान शिव की पत्नी देवी पार्वती का एक रूप हैं।

गौर की मूर्ति, ईसर (शिव), कनीराम, रोवा बाई, सोवा बाई (कनीराम, रोवा बाई और सोवा बाई ईसरजी के भाई-बहन हैं)।

गणगौर उत्सव भारत कुछ बड़े हिस्से में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह उत्सव चैत्र के पहले दिन से शुरू होता है और 18 दिनों तक चलता है। पहले 16 दिन गौरी की पूजा के लिए समर्पित हैं , जबकि आखिरी दो दिन उनके पति भगवान शिव को समर्पित हैं।

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया पर पड़ती है। गणगौर पूजा के साथ अक्सर मत्स्य जयंती भी मनाई जाती है। जानकार बताते हैं कि, गणगौर का मतलब गण शिव और गौर माता पार्वती से है। गणगौर की व्रत कथा के मुताबिक, एक बार भगवान शिव और माता पार्वती वन में गए

कैसे करें गणगौर पूजन

गणगौर पूजन के लिए कुंवारी कन्याएं व विवाहित स्त्रियां ताज़ा जल लोटों में भरकर उसमें हरी-हरी दूब और फूल सजाकर सिर पर रखकर गणगौर के गीत गाती हुई घर आती हैं। इसके बाद शुद्ध मिट्टी के शिव स्वरुप ईसर और पार्वती स्वरुप गौर की प्रतिमा बनाकर चौकी पर स्थापित करती हैं।
*गणगौर पर ख़ास *

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