Why Modi Govt is so intensely interested in globalization of Chinese currency?Prof. Gourav

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#MetronewZlive: Why Modi Govt is so intensely interested in globalization of Chinese currency?Prof. Gourav Vallabh https://www.youtube.com/watch?v=a-fFmU6Qmag Highlights of Press Briefing Prof. Gourav Vallabh, Spokesperson, AICC addressed the m #MetronewZlive: Why Modi Govt is so intensely interested in globalization of Chinese currency?Prof. Gourav Vallabh https://www.youtube.com/watch?v=a-fFmU6Qmag Highlights of Press Briefing 10 July, 2023 Prof. Gourav Vallabh, Spokesperson, AICC addressed the media at AICC Hdqrs, प्रो० गौरव वल्‍लभ ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आदरणीय साथियों, आप सभी को मेरा सादर नमस्‍कार और सावन के पवित्र माह के पहले सोमवार की हार्दिक शुभकामनाएं। साथियों, आपको मैं एक क्रोनोलॉजी ऑफ इवेंट अगले 2 मिनट में दूंगा और उस क्रोनोलॉजी को आप देखेंगे तो सारे इवेंट एक-दूसरे पर निर्भर होते जा रहे हैं। पहला इवेंट होता है, प्रधान मंत्री जी का अपने 8-9 साल के कार्यकाल में चीन की 5 ट्रिप्‍स और चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग के साथ 18 बार औपचारिक-अनौपचारिक बातचीत, because sometimes they say that these are without agenda meetings, sometimes with agenda meetings. तो पहला इवेंट होता है 5 चीन की ट्रिप्‍स और 18 शी जिनपिंग के साथ मीटिंग्‍स। दूसरा - भारत मां के 20 वीर सपूत, भारत मां के लिए वीरगति को प्राप्‍त हो जाते हैं। तीसरा - चीनी कंपनीज़ पीएम केयर में चंदा देती हुई मिलती हैं और छोटा-मोटा चंदा नहीं, बड़ा चंदा। चौथा - जब देश में लोग प्रधान मंत्री जी से सवाल पूछते हैं तो जवाब आता है न कोई घुसा था, न कोई घुसा हुआ है। पांचवा - एक्‍सपर्टस ये एस्‍टीमेट देते हैं कि 40 प्रतिशत जो पेट्रोलिंग पॉइंटस हैं, जहां पर भारत की वीर सेना पेट्रोलिंग करती थी, वो 40 प्रतिशत पेट्रोलिंग पॉइंट्स पर अब भारत की सेना पेट्रोलिंग नहीं कर पाती है। छठवां - डिफेंस एक्‍सपर्टस बार-बार अपने लेखों के माध्‍यम से और गूगल फोटोज के माध्‍यम से ये कहते हैं कि चीन, भारत मां की भूमि पर हैलीपेड बनाकर, बंकर बनाकर बैठा हुआ है। सातवां - दिसंबर 2022 में खबर आती है कि भारत मां के 20 वीर सपूतों के ऊपर चीन हमला करता है, वो गंभीर रूप से घायल होते हैं, अरुणाचल प्रदेश मे। आठवां - मार्च 2023 में खबर आती है कि अरुणाचल प्रदेश की 11 जगहों का नाम चीन बदल देता है और भारत सरकार और रक्षा मंत्री मौन व्रत में रहते हैं। नौवां - वित्तीय वर्ष 2023 में ये खबर आती है कि भारत सरकार ने चीन के साथ 100 बिलियन डॉलर का ट्रेड डेफिसिट कर लिया, ट्रेड डेफिसिट मतलब जो हम चीन से इम्‍पोर्ट करते हैं और जो चीन को एक्‍सपोर्ट करते है, उसमें 100 बिलियन डॉलर का अंतर हो गया। ये सारे सरकारी आंकड़े हैं और अब खबर आती है कि हम रूसी तेल खरीदने के लिए चीनी करेंसी में पैसा दे रहे हैं। मुझे राज कपूर साहब की एक फिल्‍म याद आती है, जिसमें रूसी टोपी और इस तरह की कई चीजों का चित्रण था, पर अब भारत सरकार सस्‍ता रूसी तेल खरीदने के लिए युआन में पेमेंट कर रही है। आज हमारी जितनी तेल की आवश्‍यकता है, उसका 42 परसेंट, जो हम इम्‍पोर्ट करते हैं, वो रूसी ऑयल करते हैं और रूस से जब हम 2020-21 में लगभग 7,000 करोड़ का तेल इम्‍पोर्ट करते थे, आज वो 7,000, 2020-21 का बढ़कर, 2022-23 में 89,000 करोड़ रुपया हो गया है, मतलब लगभग 300 प्रतिशत से भी ज्‍यादा की वृद्धि। अब रिजर्व बैंक ने कहा, भारतीय जो रिफाइनर्स हैं कि हम रूसी बैंको को भारत में वॉस्‍ट्रो अकाउंट Vostro Accounts खोलने की अनुमति देते हैं, ताकि आप रुपये में पेमेंट कर सको, तो भारत सरकार ने रुपए में पेमेंट चालू किया, रूस के जो ऑयल एक्‍सपोर्टर थे, उनको रुपए में पेमेंट जाना चालू हो गया वॉस्‍ट्रो अकाउंट्स के माध्‍यम से। नतीजा क्‍या हुआ – थोड़े दिन बाद, जून महीने में ये खबर आती है और जुलाई के प्रथम वीक में ये खबर बाहर निकलकर आती है कि भारत सरकार, रूस जिससे कि प्रतिदिन भारत सरकार 2.17 मिलियन बैरल प्रतिदिन तेल का इम्‍पोर्ट कर रही है, वो भारत सरकार अब रूस को चीनी करेंसी युआन में पेमेंट कर रही है। आप कहेंगे साहब इससे क्‍या फर्क पड़ रहा है– इससे ये फर्क पड़ रहा है कि ग्‍लोबल टाईम्‍स जो कि चीन की सरकार का मुख्‍य पत्र है, वो भारत सरकार की तारीफ में कसीदे गढ़ता है, वो कहता है Indian refiners reported Yuan purchases for Russian oil to accelerate de-dollarization and will help Chinese currency to be global currency. भारत सरकार के लिए कितनी बड़ि‍या, शुभ-शुभ बात मोदी जी के लिए ग्‍लोबल टाइम्‍स लिख रहा है कि आप युआन में पेमेंट करके, चीन की करेंसी को ग्‍लोबल करेंसी बना रहे हो, रूस के तेल का पेमेंट चीनी करेंसी में करके। उसके पश्‍चात क्‍या होता है? अब समस्‍या ये आती है कि क्‍यों रूपए का इंटरनेशनलाइजेशन नहीं किया जा सकता? हमारी करेंसी में ऐसी क्‍या वीकनेसस हैं कि हम, हमारी करेंसी में पेमेंट नहीं करते हैं और युआन में पेमेंट कर रहे हैं, चीनी करेंसी में? हम डीडॉलराइजेशन करके चीनी करेंसी की ग्लोबलाईजेशन, युआनाइजेशन कर रहे हैं, हम रुपीनाइजेशन क्‍यों नहीं कर सकते? इस बावत हमारे भारत सरकार से तीन बड़े स्‍पेशिफिक सवाल हैं :- पहला – एक तरफ तो सस्‍ते कच्‍चे तेल का एक पैसे का फायदा अंतिम उपभोक्‍ता को नहीं मिला, देश में किसी को नहीं पता। कोई मंत्री कहता है कि 25 डॉलर प्रति बैरल में रूसी तेल आ रहा है, कोई मंत्री कहता है कि 30 डॉलर प्रति बैरल में रूसी तेल आ रहा है, कोई कहता है कि 40 डॉलर प्रति बैरल पर रूसी तेल आ रहा है, पर भारत सरकार कह रही है कि हम सस्‍ता ला रहे हैं, तो उस सस्‍तेपन का फायदा, एक पैसे का फायदा अंतिम उपभोक्‍ताओं को नहीं और वो देश जिसने कायरता से भारत मां के 20 वीर सपूतों को शहीद किया, उस देश की करेंसी का हम इंटरनेशनलाइजेशन कर रहे हैं। वह देश जो हर जगह भारत मां की भूमि पर कब्‍जा जमाए हुए बैठा है, 40 प्रतिशत पेट्रोलिंग पॉइंट हमसे छीन चुका है, हमारे गांवो का, हमारे शहरों का नाम चेंज कर रहा है, उसकी करेंसी को हम एस्‍टेब्लिश कर रहे हैं। एक तरफ तो सस्‍ते रूसी तेल का फायदा नहीं, दूसरी तरफ उस सस्‍ते रूसी तेल का चीनी पैसों में भुगतान और चीनी पैसों में भुगतान करके हम डीडॉलराइजेशन करके, युआनाइजेशन ऑफ द करेंसी कर रहे हैं, दुनिया में। दूसरा सवाल – ऐसी क्‍या समस्‍या है कि हम रुपए में पेमेंट नहीं कर सकते, अगर रुपए में पेमेंट नहीं कर सकते, तो क्‍यों हमारे रुपए की साख इतनी गिरी, भारत सरकार के पिछले 9 साल के कार्यकाल में कि आज हम रुपए में पेमेंट नहीं कर पा रहे हैं और, तीसरा – मोदी जी कि आपको ये लगता है कि रुपए में पेमेंट नहीं किया जा सकता, क्‍योंकि आपको लगता है रुपए की आपने साख गिरा दी। तो दुनिया में आपको चीन की करेंसी के अलावा कोई करेंसी नहीं मिली, जिसमें भुगतान हो सके। आप चीन की करेंसी को एस्‍टेब्लिश कर रहे हो ग्‍लोबल प्‍लेटफॉर्म पर। ये हमारे 3 स्‍पेसिफिक सवाल हैं?? प्रो० गौरव वल्‍लभ ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आदरणीय साथियों, आप सभी को मेरा सादर नमस्‍कार और सावन के पवित्र माह के पहले सोमवार की हार्दिक शुभकामनाएं। साथियों, आपको मैं एक क्रोनोलॉजी ऑफ इवेंट अगले 2 मिनट में दूंगा और उस क्रोनोलॉजी को आप देखेंगे तो सारे इवेंट एक-दूसरे पर निर्भर होते जा रहे हैं। पहला इवेंट होता है, प्रधान मंत्री जी का अपने 8-9 साल के कार्यकाल में चीन की 5 ट्रिप्‍स और चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग के साथ 18 बार औपचारिक-अनौपचारिक बातचीत, because sometimes they say that these are without agenda meetings, sometimes with agenda meetings. तो पहला इवेंट होता है 5 चीन की ट्रिप्‍स और 18 शी जिनपिंग के साथ मीटिंग्‍स। दूसरा - भारत मां के 20 वीर सपूत, भारत मां के लिए वीरगति को प्राप्‍त हो जाते हैं। तीसरा - चीनी कंपनीज़ पीएम केयर में चंदा देती हुई मिलती हैं और छोटा-मोटा चंदा नहीं, बड़ा चंदा। चौथा - जब देश में लोग प्रधान मंत्री जी से सवाल पूछते हैं तो जवाब आता है न कोई घुसा था, न कोई घुसा हुआ है। पांचवा - एक्‍सपर्टस ये एस्‍टीमेट देते हैं कि 40 प्रतिशत जो पेट्रोलिंग पॉइंटस हैं, जहां पर भारत की वीर सेना पेट्रोलिंग करती थी, वो 40 प्रतिशत पेट्रोलिंग पॉइंट्स पर अब भारत की सेना पेट्रोलिंग नहीं कर पाती है। छठवां - डिफेंस एक्‍सपर्टस बार-बार अपने लेखों के माध्‍यम से और गूगल फोटोज के माध्‍यम से ये कहते हैं कि चीन, भारत मां की भूमि पर हैलीपेड बनाकर, बंकर बनाकर बैठा हुआ है। सातवां - दिसंबर 2022 में खबर आती है कि भारत मां के 20 वीर सपूतों के ऊपर चीन हमला करता है, वो गंभीर रूप से घायल होते हैं, अरुणाचल प्रदेश मे। आठवां - मार्च 2023 में खबर आती है कि अरुणाचल प्रदेश की 11 जगहों का नाम चीन बदल देता है और भारत सरकार और रक्षा मंत्री मौन व्रत में रहते हैं। नौवां - वित्तीय वर्ष 2023 में ये खबर आती है कि भारत सरकार ने चीन के साथ 100 बिलियन डॉलर का ट्रेड डेफिसिट कर लिया, ट्रेड डेफिसिट मतलब जो हम चीन से इम्‍पोर्ट करते हैं और जो चीन को एक्‍सपोर्ट करते है, उसमें 100 बिलियन डॉलर का अंतर हो गया। ये सारे सरकारी आंकड़े हैं और अब खबर आती है कि हम रूसी तेल खरीदने के लिए चीनी करेंसी में पैसा दे रहे हैं। मुझे राज कपूर साहब की एक फिल्‍म याद आती है, जिसमें रूसी टोपी और इस तरह की कई चीजों का चित्रण था, पर अब भारत सरकार सस्‍ता रूसी तेल खरीदने के लिए युआन में पेमेंट कर रही है। आज हमारी जितनी तेल की आवश्‍यकता है, उसका 42 परसेंट, जो हम इम्‍पोर्ट करते हैं, वो रूसी ऑयल करते हैं और रूस से जब हम 2020-21 में लगभग 7,000 करोड़ का तेल इम्‍पोर्ट करते थे, आज वो 7,000, 2020-21 का बढ़कर, 2022-23 में 89,000 करोड़ रुपया हो गया है, मतलब लगभग 300 प्रतिशत से भी ज्‍यादा की वृद्धि। अब रिजर्व बैंक ने कहा, भारतीय जो रिफाइनर्स हैं कि हम रूसी बैंको को भारत में वॉस्‍ट्रो अकाउंट Vostro Accounts खोलने की अनुमति देते हैं, ताकि आप रुपये में पेमेंट कर सको, तो भारत सरकार ने रुपए में पेमेंट चालू किया, रूस के जो ऑयल एक्‍सपोर्टर थे, उनको रुपए में पेमेंट जाना चालू हो गया वॉस्‍ट्रो अकाउंट्स के माध्‍यम से। नतीजा क्‍या हुआ – थोड़े दिन बाद, जून महीने में ये खबर आती है और जुलाई के प्रथम वीक में ये खबर बाहर निकलकर आती है कि भारत सरकार, रूस जिससे कि प्रतिदिन भारत सरकार 2.17 मिलियन बैरल प्रतिदिन तेल का इम्‍पोर्ट कर रही है, वो भारत सरकार अब रूस को चीनी करेंसी युआन में पेमेंट कर रही है। आप कहेंगे साहब इससे क्‍या फर्क पड़ रहा है– इससे ये फर्क पड़ रहा है कि ग्‍लोबल टाईम्‍स जो कि चीन की सरकार का मुख्‍य पत्र है, वो भारत सरकार की तारीफ में कसीदे गढ़ता है, वो कहता है Indian refiners reported Yuan purchases for Russian oil to accelerate de-dollarization and will help Chinese currency to be global currency. भारत सरकार के लिए कितनी बड़ि‍या, शुभ-शुभ बात मोदी जी के लिए ग्‍लोबल टाइम्‍स लिख रहा है कि आप युआन में पेमेंट करके, चीन की करेंसी को ग्‍लोबल करेंसी बना रहे हो, रूस के तेल का पेमेंट चीनी करेंसी में करके। उसके पश्‍चात क्‍या होता है? अब समस्‍या ये आती है कि क्‍यों रूपए का इंटरनेशनलाइजेशन नहीं किया जा सकता? हमारी करेंसी में ऐसी क्‍या वीकनेसस हैं कि हम, हमारी करेंसी में पेमेंट नहीं करते हैं और युआन में पेमेंट कर रहे हैं, चीनी करेंसी में? हम डीडॉलराइजेशन करके चीनी करेंसी की ग्लोबलाईजेशन, युआनाइजेशन कर रहे हैं, हम रुपीनाइजेशन क्‍यों नहीं कर सकते? इस बावत हमारे भारत सरकार से तीन बड़े स्‍पेशिफिक सवाल हैं :- पहला – एक तरफ तो सस्‍ते कच्‍चे तेल का एक पैसे का फायदा अंतिम उपभोक्‍ता को नहीं मिला, देश में किसी को नहीं पता। कोई मंत्री कहता है कि 25 डॉलर प्रति बैरल में रूसी तेल आ रहा है, कोई मंत्री कहता है कि 30 डॉलर प्रति बैरल में रूसी तेल आ रहा है, कोई कहता है कि 40 डॉलर प्रति बैरल पर रूसी तेल आ रहा है, पर भारत सरकार कह रही है कि हम सस्‍ता ला रहे हैं, तो उस सस्‍तेपन का फायदा, एक पैसे का फायदा अंतिम उपभोक्‍ताओं को नहीं और वो देश जिसने कायरता से भारत मां के 20 वीर सपूतों को शहीद किया, उस देश की करेंसी का हम इंटरनेशनलाइजेशन कर रहे हैं। वह देश जो हर जगह भारत मां की भूमि पर कब्‍जा जमाए हुए बैठा है, 40 प्रतिशत पेट्रोलिंग पॉइंट हमसे छीन चुका है, हमारे गांवो का, हमारे शहरों का नाम चेंज कर रहा है, उसकी करेंसी को हम एस्‍टेब्लिश कर रहे हैं। एक तरफ तो सस्‍ते रूसी तेल का फायदा नहीं, दूसरी तरफ उस सस्‍ते रूसी तेल का चीनी पैसों में भुगतान और चीनी पैसों में भुगतान करके हम डीडॉलराइजेशन करके, युआनाइजेशन ऑफ द करेंसी कर रहे हैं, दुनिया में। दूसरा सवाल – ऐसी क्‍या समस्‍या है कि हम रुपए में पेमेंट नहीं कर सकते, अगर रुपए में पेमेंट नहीं कर सकते, तो क्‍यों हमारे रुपए की साख इतनी गिरी, भारत सरकार के पिछले 9 साल के कार्यकाल में कि आज हम रुपए में पेमेंट नहीं कर पा रहे हैं और, तीसरा – मोदी जी कि आपको ये लगता है कि रुपए में पेमेंट नहीं किया जा सकता, क्‍योंकि आपको लगता है रुपए की आपने साख गिरा दी। तो दुनिया में आपको चीन की करेंसी के अलावा कोई करेंसी नहीं मिली, जिसमें भुगतान हो सके। आप चीन की करेंसी को एस्‍टेब्लिश कर रहे हो ग्‍लोबल प्‍लेटफॉर्म पर। ये हमारे 3 स्‍पेसिफिक सवाल हैं??

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